रामपुर तिराहा कांड की 30 वीं बरसी पर मुजफ्फरनगर पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
देश भर में एक और जंहा 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई के रूप में जाता है। वंही यही 2 अक्टूबर उत्तराखंड के लोगों के लिए एक बुरे सपने से काम नहीं है क्योंकि एक व 2 अक्टूबर 1994 की रात उत्तराखंड वासियों के लिए उस समय काली रात साबित हुई है। जब अलग राज्य की मांग को लेकर सैकड़ों प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक ढंग से उत्तराखंड के देहरादून से दिल्ली जा रहे थे और जैसे ही ये आंदोलनकारी मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पहुंचे थे.. तो उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार की हठधर्मिता के चलते आंदोलनकारियों पर पुलिस प्रशासन द्वारा कहर बरपाया था जिसमें आंदोलन कार्यों पर लाठीचार्ज पथराव फायरिंग की गई थी बल्कि इस रामपुर तिराहा कांड में कुछ महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना भी कारित हुई थी घटना के दौरान रामपुर तिराहा गांव के लोगों ने पुलिस के स्क्रैच का विरोध भी किया था और आंदोलनकारी की मदद भी की थी मगर उसके बावजूद भी रामपुर तिराहा कांड में 7 आंदोलनकारी पुलिस के हाथों मारे गए थे बाद में 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन होने के बाद रामपुर तिराहा कांड में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया गया था और रामपुर तिराहा पर आंदोलनकारी शहीदों की याद में एक शहीदी स्मारक का निर्माण कराया गया था उसे समय से आज तक 2 अक्टूबर को इसी रामपुर तिराहा पर बने शहीद स्मारक पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के साथ-साथ उत्तराखंड के अलग-अलग संगठनों के लोग आते हैं और उत्तराखंड के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं आज फिर इस रिवाज के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रामपुर तिराहा पर पहुंचे जहां उन्होंने सबसे पहले शहीद स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और उसके बाद फिर महात्मा गांधी और पंडित लाल बहादुर शास्त्री के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे । इस दौरान पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह उत्तराखंड के शहीद आंदोलन कार्यों को श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचे हैं और उत्तराखंड के उन शहीदों के जो सपने थे उन सपनों के हिसाब से ही हम उत्तराखंड राज्य का निर्माण कर रहे हैं