एशिया की सबसे बड़ी स्कूल चेन नारायना इ-टेक्नो जल्द ही मुजफ्फरनगर में करेगी स्कूल
मुजफ्फरनगर: एशिया की सबसे बड़ी चेन नारायना इ-टेक्नो जल्द ही मुजफ्फरनगर में स्कूल शुरू करने जा रही है। यह स्कूल अपनी तरह का पहला है, जो अपने स्टूडेंट्स को न सिर्फ एजूकेट करती है, बल्कि उन्हें कंपटेटिव एग्जाम के लिए भी तैयार करती है। खास बात यह है कि नारायना ई-टेक्नो न सिर्फ स्टडी मैटीरियल खुद तैयार करती है, बल्कि इनका कैरिकुलम ऐसा है कि बच्चों पर होम वर्क का बोझ भी नहीं डाला जाता है। नारायना ग्रुप की एजीएम उज्मा कमर ने बताया कि नारायना ई-टेक्नो कैंपस का माहौल कुछ ऐसा है कि बच्चा रोज स्कूल आना चाहता है।
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि नारायना ग्रुप एक साउथवेस्ट चेन है। इसकी शुरुआत 46 बरस पहले हैदराबाद से हुई थी। नारायना ग्रुप ने तबसे एजुकेशन में एक्सीलेंस बनाए रखा है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम देश के 23 स्टेट में 800 से ज्यादा स्कूल चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी हमारे 11 स्कूल चल रहे हैं। इनमें लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, रामपुर जैसे जिले शामिल हैं। इसी क्रम में अब मुजफ्फरनगर में भी नारायना ई-टेक्नो की ब्रांच शुरू होने जा रही है। यहां पर एडमिशन शुरू कर रहे हैं।
नारायना ई-टेक्नो बाकी स्कूलों से अलग क्या है? एजीएम उज्मा कमर ने कहा कि नारायना का स्पेशलाइजेशन कॉम्पिटेटिव है। आज की दुनिया कॉम्पिटेटिव है। हम लोग स्टूडेंट में कॉम्पिटेटिव स्पिरिट डेवलप करते हैं। उन्होंने बताया कि कॉम्पिटेटिव पार्ट को हम लोग एकेडमिक स्टडी के साथ लेकर चलते हैं। इसे हम लोग सिक्स्थ क्लास से स्टार्ट कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि एक तो सीबीएसई जनरल सिलेबस हो जाता है, जो सभी स्कूल करते हैं। हम लोग हायर वर्जन के बच्चों को वर्कआउट कराते हैं। इसमें उनमें एनालिटिकल स्किल्स और रीजनिंग स्किल्स को भी डेवलप कराते हैं। इससे स्टूडेंट्स किसी भी कंपीटिशन को ईजिली बीट कर सकता है। उसके लिए उसको अलग से कोचिंग करने की जरूरत नहीं रह जाती है। बेसिकली हम एक फ्यूचर इंडिया की तैयारी करा रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारा स्टूडेंट एक बेहतर कल की तरफ बढ़ सके।
नारायना के डीजीएम आशुतोष कुमार ने बताया कि नारायना ई-टेक्नो चेयरमैन डॉक्टर पी नारायण का विजन है। उन्होंने ही यह फैसला लिया कि हम स्कूल में ही बच्चों का फ्यूचर डेवलप कर सकें। उन्हें न सिर्फ पढ़ने लायक माहौल मिल सके, बल्कि बच्चों को स्कूल कैद की जगह नहीं बल्कि ज्वायफुल लगे। इसका मकसद बच्चों को स्ट्रेसलेस करना है। वह पढ़ाई के बोझ तले दबे नहीं, बल्कि डेवलप हों। नारायना में जो भी बच्चे पढ़ रहे हैं उनको ट्यूशन के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होती। उनको एकेडमिकली जो भी सॉल्यूशन चाहिए वो हम उनको स्कूल में ही प्रोवाइड कराया जाता है।
उन्होंने स्टडी मैटेरियल के बारे में बताया कि नारायना की रिसर्च एंड डेवलेपमेंट टीम है। इस टीम में तमाम एक्सपर्ट हैं। वह पूरी रिसर्ट, सर्वे और स्टडी के बाद बुक्स डेवलप करते हैं। वही बुक्स हम नारायना ई-टेक्नो में पढ़ाते हैं। हमारी जो रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग है वो हर तरीके से रिसर्च करती है। छोटे बच्चों को किस तरह से लर्न कराया जाएगा? क्या कंटेंट दिया जाएगा? यह सब रिसर्च से तय होता है, ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें। स्कूल मेरिट बेस पर स्कॉलरशिप प्रोवाइड करवाता है, ताकि बच्चों को एक बेहतर प्लेटफार्म दिया जा सके। आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चे बेहतर कर सकें।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई का मीडियम इंगलिश है। इसके अलवा हिंदी के साथ ही फ्रेंच और जर्मन भी पढ़ाई जाती है। हमारा मकसद स्टूडेंट्स को ग्लोबल बनाना है। उन्होंने बताया कि अभी बहुत सारी नई चीजें एड की गई हैं। जैसे म्यूजिक, डांस, बुटीक एवं एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज के लिए भी प्रॉपर फोकस किया जा रहा है। हम कह सकते हैं कि बच्चों का ओवरऑल डेवलपमेंट होता है।